Sunday, October 4, 2009

भ्रम..

दर्द ने एक रात मुझसे पूछा
क्यू तू भ्रम मे जिया करती है..
मैं ही तेरा हू,,फिर क्यू तू..
खुशियो की चाह करती है..!

दर्द ने एक रात मुझसे पूछा
मैं तुझे जला डू तो क्या होगा..
मरना तो सबको है..
मैं तुझे मार डालु तो क्या होगा..

तू जो मुझे देखते ही..
आहे भरने लगती है..
सदा पास रहता हू तेरे..
फिर भी मुझे देखते ही तू..
रोने लगती है..!!.

मैं तो सदा से तेरा था..
क्यू आरज़ू जुदाई की करती है..
तेरी तकदीर मे मैं ही हू..
क्यू फिर मुझसे भागा करती है.??
.
जो तेरी है ही नही 'वो खुशिया'
क्यू दिन-रत उन्ही के लिए तू जलती है????
क्यू तू भ्रम मे जिया करती है..???

Thursday, September 24, 2009

तुम बदल जाओगे ...

ये ना सोचा था कभी
कि तुम बदल जाओगे कभी
दुनिया डराएगी तुम्हे
और तुम डर जाओगे कभी

छोड़ दोगे मुझे
औरो के डराने से ही..
दूर चले जाओगे..
मुझसे रूठ कर यू ही...!!

तुम वही हो ना, जिसने
सीने से लगाया था मुझे,
तुम वही हो ना, जिसने
मेरे अश्क देख
अपने सिने मे भी
दर्द पाया था कभी..!!

आज तुम दूर हो गये इतने..
कि दूर जाने का भी...
तुमको मलाल नही..!.
ये ना सोचा था कभी
कि तुम बदल जाओगे कभी..!!

प्यार क बदले प्यार दोगे..
दगा ना दोगे कभी.
यू ही खुद को बहलाया किया..,
कि चाहोगे बे-इंतेहा यू ही..!.
सोचा था ही नही...
कि उम्मीदे टूटेंगी कभी..
और दूर चले जाओगे ..
एक दिन यू ही....!.

सामने आया आज वो सब ..
जो ना सोचा था कभी..
ये ना सोचा था कभी
कि तुम बदल जाओगे कभी..!!

Monday, September 21, 2009

तोहफा ..

आज तोहफे मे देखो वो क्या क्या साथ लाए है॥
जुदाई, तन्हाई और थोड़े से आसू साथ लाए है..

आज तोहफे मे देखो वो क्या क्या साथ लाए है॥
बैचेनी, गम और थोड़े से दर्द लाए है..!!.

जी भरता नही जब उनका रुला लेने से मुझे...
शब्दो के वार और थोड़ी सी मेरे अरमानो की खाक लाए है..

आज तोहफे मे देखो वो क्या क्या साथ लाए हे...

निशब्द..मूक खड़ी अभी मैं संभल भी नही पाती॥
वो देखो ज़ख्मी दिल के लिए बेवफ़ाई की सौगात लाए है..

धुआ धुआ कर के दिल अभी सुलगा ही होता है॥
मेरी मोहबत..वो मेरा प्यार, देखो कितना दर्द लाए है..

आज तोहफे मे देखो वो क्या क्या साथ लाए है॥
थोड़े से गम, थोड़ा सा दर्द...थोड़े से आसू साथ लाए है.

Wednesday, September 16, 2009

दोस्ती की अंतिम सांसे..

दोस्ती की अंतिम सांसे..
अंतिम सांसे ले रही थी
उनकी दोस्ती..
फिर भी एक आस...
एक उम्मीद
कि , लौट आयेंगे
फिर से वो दिन..
कि, फिर... शायद फिर..
इतना वक़्त दे पाएंगे..
फिर से नए रिश्तो को..
मज़बूत बनायेंगे..


फिर से लम्बी बाते होंगी..
वो गमो को भेद..
जिंदगी को जी लेने वाली
वो मुस्कुराह्ते होंगी..
फिर से धड़कने
एक-दूजे को छुएंगी ..
एक-दुसरे को सुनेंगी..


फिर सी डर की
सरहद पार कर जायेंगे..
और इस बार
इस पवित्र रिश्ते को..
पाकीज़गी दे पाएंगे..!!


आह..
कैसे मोहपाश है, ये,,
उमीदो के दामन
छूटते नहीं है...
ये भ्रम जाल

टूटते नहीं है..!!


अंतिम सांसे ले रही थी
उनकी दोस्ती..
फिर भी एक आस...
एक उम्मीद.....!!

Friday, April 24, 2009

मेरी छोडो ना , तुम अपनी कहो...

मेरी छोडो ना तुम अपनी कहो

ना मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो..

क्या बीती तुम पर,

जब ये दिल टूटा,

क्या हुआ असर..

जब प्यार तुम्हारा लुटा ..


क्या हुआ था तब,

तुम पर जब ऊँगली उठी..

क्या बीती तुम पर...

जब कहर की रात ढली..

कैसे शब् पर रोई तुम..

कैसे मद्धम सांसे टूटी,

मेरी छोडो ना ,

तुम अपनी कहो...

कैसे दर्द सहा...

कैसे आहे फूटी..

क्या बीती तुम पर

जब अरमानो की ख़ाक उडी..

तुम तो बहुत नाज़ुक हो,

कैसे ये गम सह पाई,

कैसे तुमने आंसू पिए..

कैसे जख्म-इ -जिगर सिये

कैसे सारे जुल्म सहे..

कैसे तुम बेहाल हुई..


मेरी छोडो न..

तुम अपनी कहो..

मत पूछो मुझसे..

क्या बीती मुझपे..

मैं तो बर्बाद था पहले भी..

थोडा सा बस और हुआ..

तुम्हे पाकर मैं..

सब गम भूल गया था..

पर अब तो मैं नासूर हुआ..

न झांको इन बेनूर सी आँखों में..

न मुझसे कोई सवाल करो..

उजड़ चुका सा शहर हु मैं..

और चलती फिरती लाश हु में..

मेरी छोडो न..

तुम अपनी कहो..

ना मेरी सुनो..

बस अपनी कहो...!!

Tuesday, March 31, 2009

बर्बाद-ऐ-जिंदगी..

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है
देखो मेरे लेखनी भी रोती नज़र आती है...

गैरों का गिला क्या करे अपनों से ही चोट खाई है..
जिस-से मोहबत की उसकी ही मिली रुसवाई है..

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..

दर्द को जितना दबाती हू उतना ही तड़फ जाती हू...
आँखों को जितना सुखाती हू उतना ही नम पाती हू...

जिंदगी हर तरफ़ बर्बाद नज़र आती है...
देखो मेरी लेखनी भी रोती नज़र आती है..

किस बहाने से ख़ुद को सावरू यारो...
दिल को टूटने की आवाजे साफ़ साफ़ आती है...

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..

अब तक अंदर से रोती थी जिंदगी..
आज बाहर भी जल-जले दिखाती है...


देखो आज हर तरफ़ से डूबती सी..

मेरे अरमानो की कश्ती नज़र आती है॥


हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है...


Wednesday, March 4, 2009

आज सब कह दो..

मेरी सोचो को थोड़ा आराम दे दो..

मुझ पर एक अपना एहसान दे दो..

बहुत झुलसाती है सोचे..

जब हालात तुम्हे सोचते है..

चीखती है रगे...,

जद्दो-जहद भी बदन तोड़ते है..

मुझे मेरी सोचो से

ज़रा से फासले दे दो..

जो दिल में है वो कह दो..

मेरे सीने पे अपना सिर रख के..

अपने सारे दर्द कह दो..


आज वो सब कह दो

जो रह -रह कर दर्द देते है तुमको

भिगोते है पलके..,

स्याह राते जो जलाती है तुमको..

हर उस लम्हे को आज जल जाने दो..

मेरी बाहों में वो अंगारे गिर जाने दो..

आओ मेरे पास, दिल की जिरह खोल दो...॥

लरजते लबो की ठंडी आहो को

अब बस गर्म सांसो में घोल दो...

आ जाओ, आ जाओ, इन बाहों में सो लो..


आज मुझ पर भी अपना एक एहसान दे दो..

मेरी सोचो को भी अब विश्राम दे दो..

मेरे सीने पे अपना सिर रख के..

अपने सारे दर्द कह दो..