Sunday, September 21, 2008

आज फ़िर सीने मे दर्द की गहराई है

आज हर तरफ़ तन्हाई है..
आज सीने मे फ़िर दर्द की गहराई है

आज कोई पथ्हर ना मारो सागर में
आज लहरें दूर तक दर्द से फैली है..

आज आँखे दर्द-ऐ- समुंदर से बोझिल हें
आज होठो पे गम की आहे है..

आज अंधेरे साए आकर डराते हें..
आज फ़िर बदनसीबी की छाया है..

आज दर्द फ़िर हसी पे जीता है..
आज फ़िर जख्मो से दर्द रिसता है..

आज नासूर फ़िर से भबके है..
आज सागर फ़िर तन्हाई मे रोया है..

आज फ़िर एक कमी ने जिंदगी को सताया हे..
आज सागर सागर होकर भी अधुरा है..

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

tanha naam hai aur tanhaayi ki baat hai......
bahut khoob likhati hain
aaj koi patthar na maaro sagar men
aaj laharen duur tak dard se faili hain
beintha dard