Thursday, October 30, 2008

आज का ये दिन...

आज के ये सुबह-शाम
तुम बिन बहुत तनहा बीते...!
आज पलकों से ढेरो आंसू छलके..!
आज दर्द का....
मेरे घर पर पहरा था..
आज एक बार फ़िर हम....
टूट के बिखरे-सिमटे..!!

आज हमारे प्यार ने
फ़िर रुलाया उनको ....
आज हमारी अदालत ने
मुजरिम ठहराया उनको ....
आज फ़िर कत्ले-आम किया ,
हमने उनके अरमानो का...!
आज एक बार फ़िर.....
वो हमसे रूठे, टूटे.....!!

कैसा ये प्यार है....????
लगता हे जान ले कर जाएगा..!!
कैसा हम दोनों का पागलपन है ....???
यु लगता है किसी दिन .....
यू ही दम घुट जायेगा....!!
उफ़ बी करते है तो....
ख़ुद से ही गिला होता है...!!
रोये तो....
दिल का जनाजा उठता है..!!

आज फ़िर मायूसियों की घटाए है..
आज फ़िर चमन--बरबाद की..
चीत्कार है...
आज फ़िर एक पाक दामन
गुनहगार है....!!

आज हम माफ़ी के काबिल नही है
आज हम उनसे नज़रे मिलाने के भी लायक नही है
आज जो गुजरी उन पर
खुदा हमें कोई तो सज़ा दो..
जान ले लो हमारी या ...
सुकून मेरे जानिब को दो..!!

Saturday, October 25, 2008

खवाब आप के..

'99galleries.com'



देर रात तक हम आपसे मिलते रहे ...

हर पल आपकी निगाहों में चमकते रहे ...
देखिये इस कदर ना झुकाइए पलके ...
पल -दो-पल तो रु-बरु होने दो ख़ुद से .... !!

यू रात भर आपको मनाया किए ...
देर रात तक आपकी अदाए देखा किए ....!!

देर रात तक हम आपसे यू मिलते रहे .... !!

खयालो को ना यु दबाइए लबो से ...
निकलते है जज़्बात जो, अब कह डालिए ...
इस तरह रात भर आपकी मिन्नतें करते रहे ...

आप ही को ...., आप ही को ....,
खवाबो में भी , बस आप ही को ... देखा किए ....!!

देर रात तक हम आपसे मिलते रहे .... !!

Wednesday, October 22, 2008

तुम्हारी खामोशिया..

आज ये खामोशिया सिमटती क्यों नही
हाल--दिल आपके लब सुनते क्यों नही..

कभी तो फैला दो अपनी बाहों का फलक
आज मेरी आँखों की दुआ तुम तक जाती क्यों नही..

दर्द--दिल बार-बार पलकों को भिगो जाता है ...
आपका यु खामोश रहना मुझे भीतर तक तोड़ जाता है..

मुहोब्बत मेरी जिंदगी की मुझसे रूठने लगी है ..
अंधेरे मेरी जिंदगी की तरफ़ बढ़ने लगे है..

मेरी बे-इंतिहा मुहोब्बत का असर आज तुम पर होता क्यों नही..
मेरी आत्मा में बसे हो तुम, ये तुम जानते क्यों नही..

दिन-रात मेरी दुआओ में तुम हो ये तुम मानते क्यों नही..
कोई वजूद नही मेरा तुम बिन, ये तुम जानते क्यों नही

खामोश लब तुम्हारे आज बोलते क्यों नही
भेद जिया के मुझ संग खोलते क्यों नही..!!

Sunday, October 19, 2008

जख्मी दिल.....

जख्मी था दिल तो जख्मी रहने दिया होता...
आज मगर मुझे यु तन्हाइयो से लड़ना तो ना होता...

मैंने तुमको चाहा, इबादत की, देवता बनाया क्यों..
बिना मूरत के मन्दिर सा खाली मकान रहने दिया होता..

अश्क थे, बदकिस्मती थी, ग़लत फैसले थे जिंदगी के..
यू सोच कर ख़ुद को समझाते थे, यू ही रहने दिया होता..

गए हो जब से तुम मेरी दुनिया में, दोस्त बन कर..
जुदाई है, दर्द है, और अब तुम बिन फैली तन्हाई है..

खुशी है आंसू है, हर तरफ़ बस बैचैनी है..
जिंदगी की बेइंतेहा बंदिशे है, और हर दम एक खलिश है..

अजीबो गरीब हाल है, ना मौत है ना जिंदगी है..
आज है तो बस दूर तक फैला अकेलापन है..!!

Friday, October 17, 2008

आज को जी लो यारो... !!

Aj nu ji lo yaaro..kal da ki pata..
kis wele koi gam aa satave...
es gam da ki pata..
aj nu ji lo yaaro..kal da ki pata..

आज को जी लो यारो कल का क्या पता....
किस वक्त कोई गम सताए...
इस गम का क्या पता...
आज को जी लो यारो कल का क्या पता.... !!

zindgi de safar bohte lambe ne..
kis mod te keda dard mil jave..
kisi dard da ki pata..
aj nu jo lo yaro..kal da ki pata..

जिन्दगी का सफर बहुत लंबा होता है....
किस मोड़ पर कौन सा दर्द मिल जाए...
किसी दर्द का क्या पता...
आज को जी लो यारो कल का क्या पता.... !!

hanjua।n di raat vadi kaali hondi he॥
saver di pou (rising sun) os wele badi bhari hondi he..
dil nu eyo wela tar-tar kar janda he..
es vele nu bhulna vada bhari honda he..

आसुओ की रात बड़ी भारी होती है ...
सुबह की पौ निकलनी उस वक्त बहुत भारी होती है...
दिल को ये वक्त तार - तार कर जाता है....
इस वक्त को निकालना बहुत भारी होता है...!!

thori ji khushi mile je...onu gale laga lo yaro
aj nu ji lo yaro..kal da ki pata
kithe koi kanda chubh jave..
raava de kndya da ki pata..

थोडी सी खुशी मिल जाए ...उसे गले लगा लो यारो ....
आज को जी लो यारो कल का क्या पता....
कब कोई कांटा चुभ जाए....
राहो के कांटो का क्या पता .... !!

Aj nu ji lo yaaro..kal da ki pata..
kis wele koi gam aa satave...
es gam da ki pata..

आज को जी लो यारो कल का क्या पता....
किस वक्त कोण सा गम सताए...
इस गम का क्या पता...

Tuesday, October 14, 2008

कल हमने रेगिस्तान हो जाना है....!!

अजीब बेचैनी है सीने में..
दिल मे तूफ़ान सा उठता है..
रुखसारों पे अजीब सा दर्द है...
आँखों मे रेगिस्तान मचलता है..

दिल के भीतर जहा तक भी नज़र जाती है..
अँधेरा ही अँधेरा दिख्ता है..
घबरा के करवट ले लेती हू..
जब हल्का-हल्का सा दर्द
सीने में उठता है...!!

सीने को हाथो से सहला लेती हू..
जब गम-ऐ-दिल का प्याला छलकता है..!!

कल किस्मत ने राहें बदली थी..
आज अश्को ने साथ छोड़ा है..
कल तुम भी साथ छोड़ जाओगे..
फ़िर तो बस तन्हाई का डेरा है..!!

आज आँखों में है रेगिस्तान बसा..
कल हमने रेगिस्तान हो जाना है...

अजीब बेचैनी है सीने में
दिल मे तूफ़ान सा उठता है..
रुखसारों पे अजीब सा दर्द है ..
आँखों में रेगिस्तान मचलता है..!!
आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया..
मुझ ना -चीज़ को चाहा ..
बेशुमार प्यार दिया..!!

मुझ ना समझ की ..
हर बात को माना,
हर भूल को माफ़ किया..!!

भूल गई आज कि
तन्हाई किसे कहते है..
जलन क्या है ..
और खलिश किसे कहते है..!!

आप के प्यार मे जाना
कि जिंदगी कितनी हसीं है..
खुशी क्या है..
और सुकून किसे कहते है..!!

आप के साथ ने..
हर पल मुझे संभाला है...
तो आज जानी हु कि इस धरती पर
कुछ तो वजूद मेरा है..!!

आपने जो सीख दी है..
जिंदगी की राहो पर चलने की..
हिम्मत देती है वो मुझे..
रो कर फ़िर से मुस्कुराने की..!!

आबाद--चमन है आज
हँसी की भी शेहनाई बजती है..
उम्मीदों को मंजिले मिलती है..
जिंदगी जीने की ललक बढती है..!!

आप मुझे यू ही बस
बाहों मे पनाह देते रहे..
सीने से लगा...
मुझ गरीब दिल को प्यार देते रहें !!

पार हो जायेगी ये नैया..
किनारे मिल जायेंगे मुझे...,
एक कफ़न और दो गज ज़मीन के साथ..
एहसास--सकून भी मिल जायेंगे मुझे..!!

अरमान तो इस काफिर दिल के और भी है..
आप का साथ बस रहे ...
मुझ ना -चीज़ को जीने के लिए
इस से बढ़ कर और जरुरत क्या है..!!

सुकून मिल जाए...
बैचैन रूह को मरने से पहले..
मेरे लिए तो बस..
इतनी सी ख्वाहिश से बढ़ कर क्या है..!!

आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया है..
मुझ ना -चीज़ को चाहा
बेशुमार प्यार दिया है..!!

किन अल्फाजो से बयां करू..
मेरी नजरो मे आपकी एहमियत क्या है..
आपकी रहमतों का सबब क्या है..
आपकी जरुरत क्या है..!!

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा ही ये तनहा है..!!