Tuesday, February 10, 2009

खुदा का फ़रिश्ता

मेरी जिंदगी को तूने खूबसूरत बनाया है
खुदा ने ज्यूँ फ़रिश्ता कोई मेरे लिए उतारा है ...
मेरी जिंदगी को तूने खुबसूरत बनाया है ...!!

कहा शब्--रात में चांदनी को जलाया करता था ...
गम--जिंदगी के अश्को से अंगारे बुझाया करता था ...
मेरे दिन-रात को सवार कर तूने ...
हर गम को मुस्कुराहटो से मिटाया है ...
मेरी जिंदगी को तूने खुबसूरत बनाया है ...!!

बेचैन रूह भटकती थी, जो दर्द की गलियों में,
खलिश सीने में, दिल में नासूर लिए फिरती थी ...
इस रूह को जन्नत सा सुकून दे कर तूने ....
सजा के दिल में, अनमोल हीरा बनाया है ...!!
मेरी जिंदगी को तूने खुबसूरत बनाया है ...!!

कदर खो चुकी थी जिंदगी जो ...
रोता था पैदाइश पर भी अपनी जो ...
उस ठुकराई सी जिंदगी को, गले से तूने लगाया है ...!!
मेरी जिंदगी को तूने ही खूबसूरत बनाया है ...!!
खुदा ने मेरे लिए ज्यूँ फ़रिश्ता ज़मीं पर उतरा है ...!!






1 comment:

BrijmohanShrivastava said...

पहला पद ऐसा लगा जैसे कोई माँ अपने नवजात शिशु को संबोधित करते हुए लोरी गा रही हो
दूसरा पद किसी प्रियतम को सप्रेम भेंट किया जा सकता है
बेचैन रूह और दर्द की गलिया ,नासूर ,खलिश शब्दों का चयन अति उत्तम किया गया है /जन्नत सा सुकून महसूस तो किया नही कैसा होता है ,अच्छा ही होता होगा वैसे ग़ालिब साहिब तो जन्नत के वारे में यही कहते थे कि दिलको बहलाने को ख्याल अच्छा है ""
शबे रात में चांदनी को जलाना ,जिंदगी के अश्कों से अंगारे बुझाना ,कौन से अंगारे कैसे अंगारे ,रचना में रहस्य है रोमाच है ,प्यार की भावना है ,एक लाड है दुलार है