Tuesday, March 31, 2009

बर्बाद-ऐ-जिंदगी..

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है
देखो मेरे लेखनी भी रोती नज़र आती है...

गैरों का गिला क्या करे अपनों से ही चोट खाई है..
जिस-से मोहबत की उसकी ही मिली रुसवाई है..

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..

दर्द को जितना दबाती हू उतना ही तड़फ जाती हू...
आँखों को जितना सुखाती हू उतना ही नम पाती हू...

जिंदगी हर तरफ़ बर्बाद नज़र आती है...
देखो मेरी लेखनी भी रोती नज़र आती है..

किस बहाने से ख़ुद को सावरू यारो...
दिल को टूटने की आवाजे साफ़ साफ़ आती है...

हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..

अब तक अंदर से रोती थी जिंदगी..
आज बाहर भी जल-जले दिखाती है...


देखो आज हर तरफ़ से डूबती सी..

मेरे अरमानो की कश्ती नज़र आती है॥


हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है...


Wednesday, March 4, 2009

आज सब कह दो..

मेरी सोचो को थोड़ा आराम दे दो..

मुझ पर एक अपना एहसान दे दो..

बहुत झुलसाती है सोचे..

जब हालात तुम्हे सोचते है..

चीखती है रगे...,

जद्दो-जहद भी बदन तोड़ते है..

मुझे मेरी सोचो से

ज़रा से फासले दे दो..

जो दिल में है वो कह दो..

मेरे सीने पे अपना सिर रख के..

अपने सारे दर्द कह दो..


आज वो सब कह दो

जो रह -रह कर दर्द देते है तुमको

भिगोते है पलके..,

स्याह राते जो जलाती है तुमको..

हर उस लम्हे को आज जल जाने दो..

मेरी बाहों में वो अंगारे गिर जाने दो..

आओ मेरे पास, दिल की जिरह खोल दो...॥

लरजते लबो की ठंडी आहो को

अब बस गर्म सांसो में घोल दो...

आ जाओ, आ जाओ, इन बाहों में सो लो..


आज मुझ पर भी अपना एक एहसान दे दो..

मेरी सोचो को भी अब विश्राम दे दो..

मेरे सीने पे अपना सिर रख के..

अपने सारे दर्द कह दो..