हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है
देखो मेरे लेखनी भी रोती नज़र आती है...
गैरों का गिला क्या करे अपनों से ही चोट खाई है..
जिस-से मोहबत की उसकी ही मिली रुसवाई है..
हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..
दर्द को जितना दबाती हू उतना ही तड़फ जाती हू...
आँखों को जितना सुखाती हू उतना ही नम पाती हू...
जिंदगी हर तरफ़ बर्बाद नज़र आती है...
देखो मेरी लेखनी भी रोती नज़र आती है..
किस बहाने से ख़ुद को सावरू यारो...
दिल को टूटने की आवाजे साफ़ साफ़ आती है...
हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है..
अब तक अंदर से रोती थी जिंदगी..
आज बाहर भी जल-जले दिखाती है...
देखो आज हर तरफ़ से डूबती सी..
मेरे अरमानो की कश्ती नज़र आती है॥
हर तरफ़ से जिंदगी बर्बाद नज़र आती है...