मेरी सोचो को थोड़ा आराम दे दो..
मुझ पर एक अपना एहसान दे दो..
बहुत झुलसाती है सोचे..
जब हालात तुम्हे सोचते है..
चीखती है रगे...,
जद्दो-जहद भी बदन तोड़ते है..
मुझे मेरी सोचो से
ज़रा से फासले दे दो..
जो दिल में है वो कह दो..
मेरे सीने पे अपना सिर रख के..
अपने सारे दर्द कह दो..
आज वो सब कह दो
जो रह -रह कर दर्द देते है तुमको
भिगोते है पलके..,
स्याह राते जो जलाती है तुमको..
हर उस लम्हे को आज जल जाने दो..
मेरी बाहों में वो अंगारे गिर जाने दो..
आओ मेरे पास, दिल की जिरह खोल दो...॥
लरजते लबो की ठंडी आहो को
अब बस गर्म सांसो में घोल दो...
आ जाओ, आ जाओ, इन बाहों में सो लो..
आज मुझ पर भी अपना एक एहसान दे दो..
मेरी सोचो को भी अब विश्राम दे दो..
मेरे सीने पे अपना सिर रख के..
अपने सारे दर्द कह दो..
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