Sunday, October 4, 2009

भ्रम..

दर्द ने एक रात मुझसे पूछा
क्यू तू भ्रम मे जिया करती है..
मैं ही तेरा हू,,फिर क्यू तू..
खुशियो की चाह करती है..!

दर्द ने एक रात मुझसे पूछा
मैं तुझे जला डू तो क्या होगा..
मरना तो सबको है..
मैं तुझे मार डालु तो क्या होगा..

तू जो मुझे देखते ही..
आहे भरने लगती है..
सदा पास रहता हू तेरे..
फिर भी मुझे देखते ही तू..
रोने लगती है..!!.

मैं तो सदा से तेरा था..
क्यू आरज़ू जुदाई की करती है..
तेरी तकदीर मे मैं ही हू..
क्यू फिर मुझसे भागा करती है.??
.
जो तेरी है ही नही 'वो खुशिया'
क्यू दिन-रत उन्ही के लिए तू जलती है????
क्यू तू भ्रम मे जिया करती है..???

2 comments:

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

दर्द ने एक रात मुझसे पूछा
क्यू तू भ्रम मे जिया करती है..
मैं ही तेरा हू,,फिर क्यू तू..
खुशियो की चाह करती है..!

apne aap mein pori kavita hai ...
badhayee...

रवि धवन said...

अरे वाह! दर्द को हमदम बना दिया आपने...बॉय गॉड अब लगता है कि दर्द की टेंशन ही नहीं करनी। है तो आखिर अपना ही...अपनों से काहे का शिकवा। आपका ब्लॉग बेहद खूबसूरत है।