Monday, February 16, 2009

कैसे तुम मुझे मिल गई थी...??????

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..

मैं तो बद-किस्मती से समझोता कर चुका था..

खुदा के दर से भी खफा हो चुका था..

मौत का रास्ता चुन चुका था..

इस तन्हा दुनिया से विरक्त हो चला था..

अपने नसीब पर भी बे-इन्तहा रो चुका था..

अब और कोई आस बाकी ना बची थी..

जीने की आरजू भी ख़तम हो चली थी..

तभी न जाने तुम मुझे मिल गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..!!

यु ही मैंने तो बस तुम्हे देखा था..

चेहरा तो अभी देखा भी नही था..

अभी धुंधले से अक्षर दो-चार..

बस मन के पढ़े थे..

आवाज़ तो अभी सुनी भी नही थी..

बस एक सरगोशी कानो में की थी.

तुम्हारे कानो ने भी ना जाने क्या सुन लिया था..

कैसे तुम पलट के मेरे पास आ गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..!!

ना जाने क्या तुम्हारे मन में हलचल हुई थी..

इक दूजे की आवाज़ सुनने की ललक जाग उठी थी..

तब इक-दूजे के बोल कानो में बजने लगे थे..

मन के भीतर तक कही वो बसने लगे थे..

फ़िर यु हुआ की बार बार हम इक-दूजे को सुनने लगे..

और न जाने कब एक-दुसरे में खोने लगे थे..

साँसों से होते हुई दिल में बसने लगे थे..

ना जाने कब तुम मेरा चैन,,,मेरी जान बन गई थी..

कैसे तुम मुझे मिल गई थी...!!

सोचा नही था की तुम इतना चाहोगी मुझे..

जाना भी नही था की इतना भी चाह सकता है कोई..

इतना प्यार भी होता है इस जहा में, जाना नही था..

कहानियों की बातें सच होने लगी थी..

मेरी जिंदगी भी झूमने-नाचने लगी थी..

मुहोब्बत भी मुझ पर रश्क खाने लगी थी..

न जाने कब तुम मेरी आत्मा..मेरे प्राणों में बस गई थी..

न जाने कब तुम मेरी जिंदगी बन गई थी..

न जाने तुम कैसे मुझे मिल गई थी..!!

2 comments:

kumar Dheeraj said...

कैसे तुम मुझे मिल गई थी..
मैं तो बद-किस्मती से समझोता कर चुका था..
खुदा के दर से भी खफा हो चुका था..
मौत का रास्ता चुन चुका था..

बढ़िया लिखा है तान्या जी लिखते रहिए शुक्रिया

daanish said...

mn ki geharaaeee se likhi gayi
bahut hi asardaar nazm.....
ek-ek lafz khud-b-khud dil mein kaheen gehre utartaa hai. ..
badhaaaeee. . . . .
---MUFLIS---