Friday, October 3, 2008

ओह जिंदगी...

ओह जिंदगी फिर...
आज फिर एक बार॥

झोंक दिया तुने मुझे
दर्द की आग में...!!

जहा से चली थी..
तलाशने..अपना मार्ग...
फिर वही ला पटका..
आह..
विषाक्त जीवन और
कठोर....पथरीले रास्ते..
फिर खुद को लहुलुहान कर..
जिन्दगी..तेरी किस्मत पर रोई आज
आज हां...आज फिर एक बार
एक और मौत मर गयी मैं....!!

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

aapki rachnaaon men beintha dard hai..par zindagi ke saath ye hamesha chalta rahta hai.jab tak zindagi hai tab tak na jaane kitani baar yun maut ko gale lagaate rahenge.........