Tuesday, October 14, 2008

आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया..
मुझ ना -चीज़ को चाहा ..
बेशुमार प्यार दिया..!!

मुझ ना समझ की ..
हर बात को माना,
हर भूल को माफ़ किया..!!

भूल गई आज कि
तन्हाई किसे कहते है..
जलन क्या है ..
और खलिश किसे कहते है..!!

आप के प्यार मे जाना
कि जिंदगी कितनी हसीं है..
खुशी क्या है..
और सुकून किसे कहते है..!!

आप के साथ ने..
हर पल मुझे संभाला है...
तो आज जानी हु कि इस धरती पर
कुछ तो वजूद मेरा है..!!

आपने जो सीख दी है..
जिंदगी की राहो पर चलने की..
हिम्मत देती है वो मुझे..
रो कर फ़िर से मुस्कुराने की..!!

आबाद--चमन है आज
हँसी की भी शेहनाई बजती है..
उम्मीदों को मंजिले मिलती है..
जिंदगी जीने की ललक बढती है..!!

आप मुझे यू ही बस
बाहों मे पनाह देते रहे..
सीने से लगा...
मुझ गरीब दिल को प्यार देते रहें !!

पार हो जायेगी ये नैया..
किनारे मिल जायेंगे मुझे...,
एक कफ़न और दो गज ज़मीन के साथ..
एहसास--सकून भी मिल जायेंगे मुझे..!!

अरमान तो इस काफिर दिल के और भी है..
आप का साथ बस रहे ...
मुझ ना -चीज़ को जीने के लिए
इस से बढ़ कर और जरुरत क्या है..!!

सुकून मिल जाए...
बैचैन रूह को मरने से पहले..
मेरे लिए तो बस..
इतनी सी ख्वाहिश से बढ़ कर क्या है..!!

आपने इस काबिल समझा
और सीने से लगाया है..
मुझ ना -चीज़ को चाहा
बेशुमार प्यार दिया है..!!

किन अल्फाजो से बयां करू..
मेरी नजरो मे आपकी एहमियत क्या है..
आपकी रहमतों का सबब क्या है..
आपकी जरुरत क्या है..!!

बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा ही ये तनहा है..!!

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

khushi milati hai to beintaha aur dard hota hai to behad.........
ye payaar pagi rachna bahut achchhi lagi.
बस इतना समझ लो कि..
साँसे हो मेरी आप....
और आपके बिन...
मुर्दा ही ये तनहा है..!!
aapke jazbaaton men kahin koi beech ka raasta nahi hai.....
sundar ....