Tuesday, October 7, 2008

मत पूछो मेरी हँसी का राज़ ..

मत पूछो मेरी हसी के राज़
बहुत से दर्द छिपते है..
एक-एक हसी क शोर में...
सैकडो जख्म पलते है..!!

कभी मत देखना
मेरी आँखों के उस पार..
डरती हू, छुपाती हू जिसे ,
हजारो नजरो से कई बार...
देख न लो कही तुम..
इन मे छिपा दर्द बेशुमार...!!

मत पूछो मेरी हसी के राज़
बहुत से दर्द छिपते है..
एक-एक हसी क शोर में.....
सैकडो जख्म पलते है..!!

रोते है लाखो अरमा...
रोते है बेजुबा..अनकहे ख़याल ..
हस्ती रहती हु बस..
और लोग कहते है..मुझे..बे-फ़िक्र इंसान..

कहते है दिलचस्प हू..
महफिलों की जान हू..
शुक्र है , ऐ खुदा..
कि तेरे दिए दर्द को..
मैं यु ही पी लेती हू॥

जुबा पे आह नही आने देती..
आँखों मे नमी नही लाने देती..
तेरी इस दर्द की नगरी मे..
देख ऐ खुदा..मैं गिला भी नही करती..!!

तूने ये हुनर जो बखूबी दिया है..
जान हे जब तक निभाउंगी ..
यही बस आरज़ू है..

दुआ देना ऐ दोस्तों मुझको
कि सकूं से मर सकू..
रोना ना तुम भी..

मुझे ये खुदा से वादा निभाना है..

मत पूछो मेरी हसी का राज
बहुत से दर्द छिपते है..
एक-एक हसी के शोर में...
सैकडो जख्म पलते है..!!

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कभी मत देखना
मेरी आँखों के उस पार..
डरती हू, छुपाती हू जिसे ,
हजारो नजरो से कई बार...
देख न लो कही तुम..
इन मे छिपा दर्द बेशुमार...!!

in ko padh kar kuchh yaad aaya--chhipaana bhi nahi aata , bataana bhi nahi aata.

main bas itana hi kah sakti hoon...
hans kar guzaar do jo waqt zindagi ka ,usi ko jeena kahate hain, may maykhaane men jaa kar pi to kya pi , jo ashkon ko pi le usi ko pina kahate hain.
god bless u

"Nira" said...

मत पूछो मेरी हसी के राज़
बहुत से दर्द छिपते है..
एक-एक हसी क शोर में...
सैकडो जख्म पलते है..!!

hum sare hi ek naqab sa chahre par laga kar ghoomte hain. jhooti hasi ke piche lakh gum phupaye baihte hain
bahut acha likha hai
badhai
nira