Friday, October 3, 2008

दर्द...

ना जाने कैसे वो ये गम सह गयी
ना जाने कैसे वो यु चुप रह गयी
आँखे लबालब, दिल दर्द से बेहाल...
ना जाने कैसे वो ये सब पी गयी...!!

ज़हर देते वो तो यु ना मलाल होता
जान भी ले लेते वो तो यु ना सोचा होता..
दर्द से बिलबिलाती यह रूह यू ना तद्फी होती..
जिस कदर उसने फासला माँगा, वो यूं तो ना बिखरी होती...!!

भर गया आज मन उसका आहो से..
ना रहा होश, है ना वो आज अपने आपे में
सांस भी आती है तो दर्द छलकता है..
ज़मीं पर चलती है तो ज्यूँ लाश का साया चलता है..!!

ना जाने क्या गुजरी उस पर, की वो सहम गयी..
कल तक तो बस तन्हा थी, आज वो शिथिल सी हो गयी..
रोई है आज वो देखो जी भर के खुद के जिंदगी पर..
बिखर गयी वो लो आज तिनका तिनका टूट कर..!!

तन्हा

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

gta hai ki kisi aur ke dard ko mahsoos kar ye rachna likhi hai. bahut khoob