Tuesday, October 14, 2008

कल हमने रेगिस्तान हो जाना है....!!

अजीब बेचैनी है सीने में..
दिल मे तूफ़ान सा उठता है..
रुखसारों पे अजीब सा दर्द है...
आँखों मे रेगिस्तान मचलता है..

दिल के भीतर जहा तक भी नज़र जाती है..
अँधेरा ही अँधेरा दिख्ता है..
घबरा के करवट ले लेती हू..
जब हल्का-हल्का सा दर्द
सीने में उठता है...!!

सीने को हाथो से सहला लेती हू..
जब गम-ऐ-दिल का प्याला छलकता है..!!

कल किस्मत ने राहें बदली थी..
आज अश्को ने साथ छोड़ा है..
कल तुम भी साथ छोड़ जाओगे..
फ़िर तो बस तन्हाई का डेरा है..!!

आज आँखों में है रेगिस्तान बसा..
कल हमने रेगिस्तान हो जाना है...

अजीब बेचैनी है सीने में
दिल मे तूफ़ान सा उठता है..
रुखसारों पे अजीब सा दर्द है ..
आँखों में रेगिस्तान मचलता है..!!

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

maine abhi tak logon ki aankhon men ashqon ka saagar machalte suna tha aaj pahali baar registaan machalte padh rahi hoon.ek nayi soch ka achchha prayog hai.
कल किस्मत ने राहें बदली थी..
आज अश्को ने साथ छोड़ा है..
कल तुम भी साथ छोड़ जाओगे..
फ़िर तो बस तन्हाई का डेरा है..!!

jab tanhaayi hoti hai to khud se mila karate hain.
kisi ke sahaare ki zaroorat nahi hoti khud se baat kiya karate hain.
zindagi ban jaaye gar registaan to phir paani ki chaah bhi kyon ho?
chhalakte nahi hain gam-e dard ke pyaale bass unhen hum pee liya karte hain.
shubhkaamna ke saath.