मेरा हक़ तो नही ....!!
तुम छुपा लो कोई राज़और मैं जानू...ये मेरा हक़ तो नही है..!!न जाने क्यों, फ़िर भी..मैं ये हक़समझ लेती हु..!!आज जब तुम मेरे नहीं हो..फ़िर भी, न जाने क्योंआज मैं तुम्हें अपना समझ लेती हु..!!हां आज तुम्हें, मुझसे..कुछ भी न चाहिए..कि अब मैं तुम्हे..परायी लगने लगी हु..!!
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