Tuesday, September 23, 2008

तुझे तो बस जीना है तनहा...!!


तुझे तो बस जीना है तनहा...!!
कोई ख़ुशी नहीं तनहा..
कोई हंसी नहीं है तेरे लिए..
कोई नहीं है तेरा यहाँ..
तुझे तो बस जीना है तनहा...!!

कितनी भी भीख मांग ले तू..
कोई भी खुशबु तेरी नहीं है
कितने फूल इस संसार में खिले है..
कितने रंग बिखरे हुऐ है..
किसी को न छूना तू तनहा..
ये सब तेरे लिए नहीं है..

न कोई तेरा अपना है..
न कोई खवाब है तेरे लिए..
तू लाख बना गैरों को अपना..
तेरे दर्द से मगर सरोकार किसी को नहीं है..

तुझे तो बस तदफ्ना है..
झूटी हंसी में जीना है..
यु ही जिंदगी को जीना है..

कोई ख़ुशी नहीं तनहा..
कोई हंसी नहीं है तेरे लिए..
कोई नहीं है तेरा यहाँ..
तुझे तो बस जीना है तनहा...!!

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