tanhasagar
Tuesday, September 16, 2008
हम लिखवा क लाये है..
तड़पना अपनी किस्मत मे
हम लिखवा क लाये है..
प्यार मे ठोकरे खाना..
हम लिखवा क लाये है..
सवर किस्मत नही सकती
कबी..इस उजडे चमन की..
क्युकी हर रोज़ एक मौत मरना..
हम लिखवा क लाये है..
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बहुत उदास हु मैं..
भवर ...!!
जिंदगी और बता गम कितने तू मुझे देगी.....??
तुझे तो बस जीना है तनहा...!!
तू अपने आप मे इतना दम रख ले..!!
तेरी दूरिया मुझसे इतनी क्यों है?
आज तो जी भर के चाहो मुझे..!!
आज फ़िर सीने मे दर्द की गहराई है
चीर दे मेरे लिए भी कोई कफ़न..!!
रेगिस्तान सी जिंदगी को बरसात देती हू..
हसदे हसदे दुनिया छड़ जावांगे अस्सी..
मै और मेरी तन्हाई...
सात फेरों का छल ....
व्याकुलता..
थोरा थोरा हस लो...
जिसके लिए में सजी-सवरी ....
लम्हा दर लम्हा सागर सिमट जाएगा.....
दर्द को सीने से लगा कर भी आज करार नही..
ओ जान मेरी... गले से लगा लो..
आ जाओ ओ जान कहा हो,......???
Main lamha dar lamha dard pita raha.....
हम लिखवा क लाये है..
मेरा हक़ तो नही ....!!
Tum kya doge mujhe.....
Dil ki tamanna hai barbaad ho jaaye..
kya karu
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taanya
Dil ki tanhaayi ko alfaaz bana lete hai.. Dard jab had se guzerta hai to likh lete hai..!
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