आज मुझे यु आधा-अधुरा सा छोड़ दिया
आज मुझे यु थोड़ा सा छू कर छोड़ दिया
में जानती हु ये बदन अब हमारे मुरझाने लगे हे..
मगर 'जानू' दिल के अरमान जलाने लगे है..
कभी तो जी भर के चाहो मुझे..
जिंदगी का एक पुरा दिन तो दे दो मुझे..
प्यासा न रह जाए ये सागर कहीं.
अपने प्यार के सावन में नहला दो मुझे..
सांझ होने से पहले बरस जाओ तुम..
जिंदगी तमाम होने से पहले..
बदली सी बन के गुज़र जाओ तुम...!!
कोई शिकवा न रहे सागर को..
जिंदगी से रुखसत होते हुऐ॥
तद्फे न वो फ़िर किसी क लिए..
जन्मो से प्यासी रूह को तृप्त हो जाने दो..
प्यासे सागर की प्यास बुझ जायेगी..
तनहा सागर की तन्हायी मिट जायेगी..
भटकती रूह को नई जिंदगी मिल जायेगी...!!
एक तुम ही तो महासागर हो मेरे
में तो नीरीह नदिया हू जो...
बहती है बस तुमारे लिए...
आज यु आधा -अधूरा न छोड़ जाओ मुझे..
छू कर मुझे यु न तदफाओ प्रिये..!!
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1 comment:
adhuri pyaas ko sampurn shabdon se sajaya hai..dard ko charmseema tak pahuncha diya hai.......
lekin saagar ko saagar hi rahane den .. nadiya na banaayen.
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