Wednesday, September 17, 2008

ओ जान मेरी... गले से लगा लो..

आओं ना जान गले से लगा लो..
आँखों ही आँखों मे मुझको बसा लो..
नही सही जाती ये दुरिया अब सनम..
बाहों मे ले लो...सीने मे छुपा लो..

कही बीत जाए न ये रैना..
कही छिन जाए न ये खुशिया..
कही कोई स्याह रात चुरा ले न ये पल..
आ जाओ आ जाओ हमको अपना बना लो..

गरम साँसों का भाव कम होने से पहले..
पिघलते जिस्मो का बिखराव होने से पहले..
अरमानो की शमा बुझने से पहले..
अपने आगोश की गर्म साँसों मे बसा लो..

आओ न जान गले से लगा लो..
फैले सागर को ख़ुद मे सिमटा लो..
तपते बदन को लरजते होठो से छू लो..
चैन आ जाए..जरा प्यासे मन को सहला दो..

पलकों को चूमो..रुखसारों पर लब रख दो..
बाहों के घेरो मे बैचन जिस्म को कस दो..
जुल्फों को समेटो...या..घटाओ सा बिखरा दो..
ओ जान मेरी...बस अब गले से लगा लो..

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